श्रीमद्भगवत एक मात्र ऐसा ग्रंथ है, जो छात्रों को भी पग-पग पर प्रेरित करता है और जीवन की समस्याओं का साहस से सामना करने योग्य बनाता है। Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप उन कोट्स को पढ़ पाएंगे, जो विद्यार्थी जीवन में आपको सद्मार्ग दिखाएंगे। ऐसे कुछ प्रेरक कोट्स निम्नलिखित हैं-
“कर्म ज्ञान से अज्ञात मानव, कोई महामानव नहीं केवल अज्ञानी है।”
“मोह बंधन ही मानव को पथ से भटकाते हैं, सफलता के लिए सद्मार्ग पर चलना अनिवार्य है।”
“योगियों की भांति ही ध्यान केंद्रित करना सीखें, जहाँ स्वार्थ का कोई स्थान न हो।”
“मनुष्य जैसा लेता है आहार, वैसे ही बन जाते हैं उसके विचार।”
“सफलता उसी व्यक्ति को मिलती हैं, जिसका स्वयं की इन्द्रियों पर बस हो।”
“यदि परिस्थितियां आपके हक़ में नहीं है, तो विश्वास कीजिए कुछ बेहतर आपकी तलाश में है।”
“हर प्राणी के जीवन में परीक्षा का समय आता है, इसका अर्थ यह नहीं कि निराश हुआ जाए।”
“दूसरे की कामयाबी से जलना क्यों है, आपका परिश्रम ही आपको सफल बनाता है।”
“जीत हो या हार दोनों का सम्मान करना सीखें, क्योंकि दोनों में ही ईश्वर की इच्छा होती है।”
“”मन की परेशानी या समय की हैरानी का एक ही हल है कि आप अपने सवालों के जवाबों के पीछे ऐसे पड़ जाए, जैसे आप एक हठयोगी हो।”
Bhagavad Gita Quotes in Hindi अर्थ के साथ
Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप श्रीमदभगवत गीता के अनमोल ज्ञान को भावार्थ सहित पढ़ सकते हैं, साथ ही आप इस अमूल्य ज्ञान को अपने जीवन में अपनाकर जीवन को सफल बना सकते हैं। नीचे दिए गए कोट्स में आपको महाभारत युद्ध के दौरान पवित्र गीता ज्ञान और उन अनमोल क्षणों के बारे में पता लगेगा, जिन क्षणों में स्वयं नारायण की वाणी गीता का अनमोल ज्ञान बनी।
धृतराष्ट्र उवाच
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय।
धृतराष्ट्र बोलेः हे संजय! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित, युद्ध की इच्छावाले मेरे पाण्डु के पुत्रों ने क्या किया? (जिस भूमि से धर्म ज्ञान का प्रचार होता है, वो भूमि ही धर्मभूमि कहलाती है।)
अर्जुन उवाच
दृष्ट्वेमं स्वजनं कृष्ण युयुत्सुं समुपस्थितम्
सीदन्ति मम गात्राणि मुखं च परिशुष्यति।
वेपथुश्च शरीरे मे रोमहर्षश्च जायते।
अर्जुन बोलेः हे कृष्ण! युद्धक्षेत्र में डटे हुए अपने स्वजनों को देखकर शरीर का हर अंग शिथिल हुए जा रहा हैं और मुख सूखा जा रहा है। (स्वजनों को युद्ध क्षेत्र में देखकर अर्जुन मोह बंधनों में फसने लगे)
न कांक्षे विजयं कृष्ण न च राज्यं सुखानि च।
किं नो राज्येन गोविन्द किं भोगैर्जीवितेन वा।
हे कृष्ण! ऐसी विजय की लालसा क्या रखनी जिसमें स्वजनों से ही युद्ध लड़ना पड़े। हे गोविन्द ! हमें ऐसे राज्य या ऐसे जीवन से क्या ही लाभ मिलेगा? (बंधनों के फंदे में फसकर अर्जुन जब कर्मों पर ही प्रश्न उठाने लगते हैं।)
निहत्य धार्तराष्ट्रान्नः का प्रीतिः स्याज्जनार्दन।
पापमेवाश्रयेदस्मान् हत्वैतानाततायिनः।
हे जनार्दन! धृतराष्ट्र के पुत्रों को मारकर हमें क्या ही प्रसन्नता होगी? ऐसे पापियों को मारकर तो हमें केवल पाप ही लगेगा। (जब अर्जुन अपने धर्म को धारण करने में संकोच करने लगे।)
कुलक्षये प्रणश्यन्ति कुलधर्माः सनातनाः।
धर्मे नष्टे कुलं कृत्स्नमधर्मोऽभिभवत्युत।
अपने ही कुल के नाश से सनातन कुलधर्म नष्ट हो जाते हैं, कुलधर्म के नाश हो जाने पर सम्पूर्ण कुल में केवल पाप ही फैलता है।
संकरो नरकायैव कुलघ्नानां कुलस्य च।
पतन्ति पितरो ह्येषां लुप्तपिण्डोदकक्रियाः।
वर्णसंकर कुलघातियों को और कुल को नरक में ले जाने के लिए ही होता है, लुप्त हुई पिण्ड अर्थात् श्राद्ध और तर्पण से वंचित इनके पितर लोग भी अधोगति को प्राप्त होते हैं।
दोषैरेतैः कुलघ्नानां वर्णसंकरकारकैः।
उत्साद्यन्ते जातिधर्माः कुलधर्माश्च शाश्वताः।
इन वर्णसंकरकारक दोषों से, कुलघातियों द्वारा सनातन कुल, धर्म और जाति धर्म नष्ट हो जाते हैं।
उत्सन्कुलधर्माणां मनुष्याणां जनार्दन।
नरकेऽनियतं वासो भवतीत्यनुशुश्रुम।
हे जनार्दन! जिनका कुलधर्म नष्ट हो गया है, ऐसे मनुष्यों का अनिश्चित काल तक नरक में वास होता है, ऐसा हम सुनते आये हैं।
श्रीभगवानुवाच
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्तवोत्तिष्ठ परंतप।
श्री भगवान बोलेः हे अर्जुन! तुझे इस असमय में यह मोह किस हेतु से प्राप्त हो रहा है? क्योंकि यह श्रेष्ठ पुरुषों का आचरण नहीं, न ही यह आचरण स्वर्ग को देने वाला है और न ही कीर्ति कमाने वाला है। इसीलिए हे अर्जुन! नपुंसकता को मत प्राप्त हो, तुझमें यह उचित नहीं जान पड़ती। हे पार्थ! हृदय की तुच्छ दुर्बलता को त्यागकर युद्ध के लिए खड़ा हो जा।
दिल को छू जाने वाले Bhagavad Gita Quotes in Hindi
Bhagavad Gita Quotes in Hindi के माध्यम से आप दिल को छू जाने वाले उन कोट्स को पढ़ पाएंगे, जो जटिल से जटिल परिस्थिति में आपको साहस से काम लेना सिखाते हैं, यह कुछ इस प्रकार हैं-
“मन को जीतने वाला व्यक्ति ही परमात्मा को प्राप्त कर सकते हैं।”
“शांत मन से ही लक्ष्य की प्राप्ति की जाती है, मन की अशांति से मानव का पतन होता है।”
“निस्वार्थ भाव से की गई सेवा या दान ही सात्विक गुण का आधार होता है, सात्विकता से ही संसार को ऊर्जा प्राप्त करता है।”
“क्रोध, लालच और वासना यही नर्क के द्वार हैं क्योंकि यह मानव के पतन का मुख्य कारण होते हैं।”
“ईश्वर का रूप केवल उतना ही नहीं जितना हम और आप समझते हैं, सृष्टि के हर कण में परमात्मा की उपस्थिति होती है।”
“सृष्टि के हर कण का एक विशेष गुण होता है, जिसका आधार स्वयं श्री हरि नारायण होते हैं।”
“अति से ज्यादा खाना खाने वाला मानव आलस के रथ का सारथी बनता है, एक योगी की यही पहचान होती है कि वह कम खाते हैं और हरि की महिमा गाते हैं।”
“श्रीकृष्ण ही तमस हैं और वही ज्ञान का प्रकाश हैं, नारायण ही सृष्टि सारी-श्री हरि ही आशाओं का आकाश हैं।”
“स्वर्ग और नर्क कर्म के तराजू पर समान रूप से तुलते हैं, इन्हीं के आधार पर आत्मा की गति होती है।”
“चंचल मन की इच्छाओं का त्याग करने वाले व्यक्ति ही परमात्मा के हृदय में वास करते हैं।”
“संशय से बाहर निकलकर कर्म को पहचानने वाला व्यक्ति ही सर्वश्रेष्ठ कहलाता है।”
“योगियों की यही पहचान होती है कि उनकी इंद्रियां उनके अधीन होती हैं।”
“भयमुक्त होता है वह प्राणी जो परमात्मा की इच्छा को अपने लिए आदेश मानकर चलता है।”
“चिंताओं की चिता को दाग वहीं प्राणी देता है, जो पूर्णतः मन भाव से स्थिर हो जाता है।”
“सच्ची श्रृद्धा और परमात्मा के प्रति समर्पण तब ही सफल माना जाता है, जब उसमें कोई शंका न हो।”
“जीवन में अपने पथ से भटकने वाला व्यक्ति कभी भी परमात्मा की प्राप्ति नहीं कर सकता, फिर चाहे वह कितना भी कुछ क्यों न कर ले।”
“भय के होने पर मन की स्थिति भयानक हो जाती है, वीर वही है जो कर्मज्ञान का अनुसरण करता हो।”
“सृष्टि में हर जीव के हृदय में नारायण का ही वास है, मनुष्य को चाहिए कि वह अपने भीतर के नारायण का स्वरूप जाने।”
“जब कभी भी सृष्टि पापियों के पाप से आतंकित होती है, तब नारायण इस धरती पर धर्म बचाने, सृष्टि की संस्कृति, ज्ञान और मानवता के संरक्षण के लिए अवतार लेते हैं।”
“परमात्मा की लीलाओं को जिसने शून्य होकर जान लिया, उसने जीवन के अनन्त ज्ञान की प्राप्ति कर ली।”
“राजसी, तामसी और सात्विक के आधार पर ही मानव के गुण, प्रकृति और व्यवहार का निर्धारण होता है।”
“जीवन का एक ही सार होता है “श्रीमद्भागवत गीता”, यही सार यदि जीवन का आधार बन जाए तो जीवन सफल बन जाता है।”
'bhagvad gita quotes in hindi'
1)हर इंसान को कर्म मे विश्वास करना चाहिए,
क्योंकि ये जगत ही कर्म लोक है । कर्म आपके हाथ में है ,
परिणाम नहीं, इसलिए कर्म पर ध्यान लगाएं ।
यानि की सिर्फ काम पर ध्यान लगाए और मेहनत करे ।
(2) भगवान श्री कृष्ण कहते है,
कि हर वक्त अपनी कामनाओ और इच्छा में डूबे रहना
ही इंसान के सभी दु:खों का करण है ।
अगर वो इससे मुक्त होकर अपना कर्तव्य निभाए,
तो हो उसका जीवन खुशहल होगा ।
(3)बिश्वास रखे कि तुम्हारे साथ जो हुआ है वह
अच्छा हुआ है , जो हो रहा है वो भी अच्छा ही हो रहा है,
और जो होगा वो भी अच्छा ही होगा है ।
(4)जीवन का आनंद ना तो बीते हुए कल
में हे, और ना ही भविष्य में, जीवन का
आनंद तो आज को जीने में है, बल्कि
अभी जीने में है । कि अभी आप कैसे
जी रहे है ।
(5)यदि कोई इंसान जो चाहता है
उसे विश्वास के साथ करता है,
तो वह जो चाहे बन सकता है ।
(6)मैं प्रत्येक जीव के ह्रदय में आसीन हूँ और मुझे से ही स्मृति,
ज्ञान तथा विस्मृति होती है । मैं ही वेदों के द्वारा जानने योग्य हूँ ।
नि :संदेह मैं वेदान्त का संकलनकर्ता तथा समस्त वेदों को
जाननेवाला हूँ ।
(7) श्री कृष्ण कहते है कि सदैव मेरा चिंतन करो, मेरे भक्त बनो,
मेरी पूजा करो और मुझे नमस्कार करो ।
इस प्रकार तुम निश्चित रूप से मेरे पास आओगे, मैं तुम्हें वचन देता हूँ,
क्योंकि तुम मेरे परम प्रिय मित्र हो।
(8) श्री कृष्ण कहते है कि मृत्यु के समय जीव द्वारा विकसित की
गई चेतना उसे दूसरे शरीर में ले जाती है ।
यदि जीव ने अपनी चेतना पशु जैसी बना रखी है,
तो उसे पशु शरीर प्राप्त होना निश्चित है
(9) श्री कृष्ण कहते है किखुस रन है तो
जिंदगी का फैसले अपनी परिस्थितियों को देखा कर ले
दुनिया को देखकर जो फैसले लेते है, वह दुखी ही रहते है
(10 ) श्री कृष्ण कहते है कि कोई कुछ भी कहे बस आंपने आप को संत रखे
क्योंकि सूरज कि किरने कितने भी तेज क्यों ना
हो समुद्र सूखा नहीं करते ।
(11) मन अंधा होता है, इसके पास कोई ज्ञान नहीं होता
मन कुछ नहीं जानता ना सही और ना ही गलत
और ना ही सही मार्ग दर्शन करता है इसलिए आप अंधे मन
कि बाते मानकर जरूरी कामों को टालना बंद करे
आप हमेशा अपनी बुद्धि से काम लीजिए मन से नहीं
क्योंकि अंधा मन हमेशा आपको जरूरी कामों को करने से रोक देता है ।
(12 ) श्री कृष्ण कहते है कि मन से सोचे कार्यों को मुंह से बाहर
मत निकालो जिस प्रकार किसी गुप्त मंत्र कि रक्षा करते है, उसी प्रकार
अपने बड़े लक्ष्य को मन मे रखकर उसकी रक्षा करो
गुप्त रहकर उस काम को करो और तभी बोलो जब काम पूरा हो जाए
क्योंकि आधिकतर लोग अपनी तकलीफ से दुखी नहीं है, जितना दूसरों कि
तरक्की देखकर दुखी है
(13) श्री कृष्ण कहते है कि जब भी कोई बड़ी बात बड़े लक्ष्य की हो ।
केवल उन बातों को उन लोगों से बांटे जो उस बातों को अपने
भीतर बचाकर रखने का हौसला रखते हो यदि कभी
आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाए यदि कभी बड़ा नुकसान हो जाए यदि कभी सब कुछ
चोरों हो जाए उस बात को अपने अंदर बचाकर रख लेना
अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति की जानकारी अपने मित्रों को या
रिश्तेदारों को मत देना सहानुभूति पाने के लिए चार आँसू मत
गिरना क्योंकि याद रखे अंदर भले ही काम हो लेकिन बाहर पूरा दम हो क्योंकि यदि लोगों
को पता चल जाएगा कि आपके पास पैसों कि कमी है
आर्थिक स्थिति कि दिक्कत है वह अपना पैसा आपके व्यवहार से निकाल लेंगे
समय से पहले आप खत्म हो जाएंगे क्योंकि ए प्रकृति का नियम है
जिसके पास पैसा है उसे ही पैसा मिलता है और पैसा पाने के लिए पैसा
दिखना पड़ता है ।
(14 ) श्री कृष्ण कहते है कि एक बात हमेशा याद
रखे पहले तो किसी मित्र पर विश्वास ना करे यदि आपके आसपास ऐसे कोई लोग
है जिनकी जीवन शैली लगातार नकारात्मक कार्यों में लिप्त है
वो कितने भी गरीब दोस्त क्यों ना हो आज नहीं तो कल आपको नुकसान
जरूर पहुचाएंगे
(15 ) श्री कृष्ण कहते है कि आपकी जिंदगी में कुछ नहीं बदलेगा जब तक आप
खुद को नहीं बादलों गे मुंह पर सच बोल देने और गुस्सा कर लेने वाले लोग
उन लोगों से करोड़ों गुना बेहतर है जो आपके सामने कुछ और है और
पीठ पीछे कुछ और है ।
(16) कौवा कोयल कि आवाज को दवा सकता है, मगर खुद कि आवाज मधुर नहीं कर सकता
उसी तरह नींदा करने वाले व्यक्ति सज्जन को बदनाम कर सकता है मगर खुद को सज्जन नहीं
बना सकता ।
(17 ) श्री कृष्ण कहते है कि अगर अकेलापन है तो उसे एक वरदान समझे क्योंकि परमात्मा
ने तुम्हें खुद में सुधार लाने का थोड़ा आधिक समय दे दिया है
अकेले रहने का आनंद लेना सीखे
क्योंकि कोई भी आपके साथ हमेसा के लिए साथ नहीं रहेगा ।
(18 ) श्री कृष्ण कहते है कि कामयाब इंसान खुश रहे या ना रहे,
खुश रहने वाला इंसान कामयाब जरूर हो जाता है ।
(19 ) श्री कृष्ण कहते है कि उन्हे छोड़ देना उचित है जो आपके होने
का मूल्य नहीं जानते यदि जगत में प्रत्येक काम मनुष्य द्वारा संभव होता तो
मेरा अस्तित्व ही नहीं होता जहां से तुम्हारे रत्नों का अंत होता है वही से मेरा
अर्थात ईश्वर का कार्य प्रारंभ होता है ।
(20 ) श्री कृष्ण कहते है कि बच्चा क्या खाएगा क्या पिएगा
क्या पहने इसका ध्यान बच्चा नहीं उसकी माँ रखती है
हमे क्या देना है और क्या नहीं देना है स्वयं भगवान
देखते है
(21 ) श्री कृष्ण कहते है कि मन एक सेवक सुंदर सेवक और खतरनाक सवामी है
जीवन मनुष्य के जीवन केवल उसके कर्म पर चलता है, जैसे कर्म होते है
वैसे ही उसका जीवन होता है ।
(22 ) खो कर पाने का अलग मजा है,
रो-रोकर हंसने का मजा ही कुछ और है हारना तो जिंदगी का
हिस्सा होता है लेकिन हारने के बाद जीतने का मजा ही कुछ और होता है ।
(23 )अच्छा बनने के लिए किसी का नकल करने का जरूरत नहीं
खुद इतना अच्छा बनो कि लोग आपकी नकल करने लगे।
(24 ) अगर कोई आपसे मांगे तो दे दिया करो क्योंकि भगवान ने
आपको देने वालों में रखा है मांगने वालों ने नहीं, अच्छे वक्त को देखने
के लिए बुरे वक्त को झेलना पड़ता है,
(25 )सेवा सबकी करो लेकिन आशा किसी
का मत रखो क्योंकि सेवा का असली मूल्य भगवान ही देता है हमेशा अपनी
नजर उस चीज पर रखे जिसे तुम पाना चाहते हो, उस पर नहीं जिसे तुम खो चुके हो ।
(26)अन्न और जल से बढ़कर कोई दान नहीं और माता - पिता से बढ़कर कोई
देवता नहीं
(27 )जिंदगी का सबसे बड़ा गुरु मंत्र यही है अपने राज किसी को ना बताए जरूरत से ज्यादा इज्जत
और समय देने पर लोग आपको गिरा हुआ समझने लगते है।
(28 ) कभी पीठ पीछे आपकी बात हो रही हो तो घबराना मत क्योंकि
बात उन्ही कि होती है जिनमे कोई बात होती है,
(29 )याद रखना सफलता कभी मागने से नहीं मिलती, मांगने से केवल
भीख मिलती है।
(30) सफलता पाने के लिए तुम्हें खुद मेहनत करनी पड़गी
छोटी- छोटी गलतियों से बचने का प्रयास करो क्योंकि इंसान ठोकरे पहाड़ों से नहीं बल्कि
छोटी-छोटी पत्थरों से खाता है ।
(31) अपनी गलती माने बिना आप कभी भी बेहतर इंसान नहीं बन
पाओगे ।
(32 ) देना शुरू कर दो आना खुद ही शुरू हो जाएगा
इज्जत भी और दौलत भी ।
(33) अहंकार में डूबे इंसान को ना तो खुद की गलतिया दिखाई देती है,
और ना ही दूसरों कि अच्छाई दिखाई देती है ।
(34 ) जीवन मे जितना कठिन परिस्थितिया आएगी उतना
ही आप मजबूत बनते जाओगे और जितना आप मजबूत बनते जाओगे
जिंदगी उतनि ही आसान होती जाएगी यही जिंदगी का नियम है ।
(35) याद रखना आपमान का बदला लड़ाई करके नहीं
सामने वाले से अधिक सफल होकर लिया जा सकता है ।
(36)अगर बुरा करने का ख्याल याए तो उसे कल पर टाले,
और अच्छा करने का ख्याल आए तो उसे आज जी कर डालो ।
(37) साथ रहकर कोई छल करे तो उससे बड़ा कोई शत्रु नहीं
हो सकता, और जो हमारे मुंह पर हमारे बुराई बात दे उससे
बड़ा कोई मित्र नहीं हो सकता।
(38)याद रहे साफ - साफ बोलने वाला कड़वा जरूर होता है,
मगर विश्वास धाती नहीं
(39) त्याग दो अपने बुरे कल को क्योंकि उसका
प्रभाव आने वाले कल को दूषित कर देगा।
(40) जिंदगी जीने के दो तरीके हैं एक तो जो पसंद है
उसे हासिल करो और दूसरा जो हासिल है
उसे तुम पसंद करना सिख लो ।
(41) चीजों कि कीमत मिलने से पहले होती है,
और इंसान कि कीमत खो देने के बाद मुफ़्त में तो सिर्फ
मा - बाप का ऊपर मिलता है, बाकी इस दुनिया
मे हर रिश्ते के लिए कुछ ना कुछ चुकाना पड़ता ।
(42) बेइज्जती का जवाब इतनी
इज्जत से दीजिए कि सामने वाला भी शर्मिंदा हो जाए ।
(43) आप जब तक अपनी कठिनाइयों और
समस्याओ का जिम्मेदार दूसरों को मानते रहोगे
तब तक कभी भी आप अपनी समस्या और कठिनाइयों को नहीं मिटा सकते ।
(44) जितना ज्यादा हो सके सुनो और जितना हो सके उतना काम बोलो
इस लिए शयद भगवान ने हमे दो कान और एक ही मुंह दिया है ।
(45) माफ बार-बार कीजिए लेकिन बिश्वस सिर्फ एक बार कीजिए,
(46)जिंदगी में कभी भी किसी को इतना महत्व मत दो कि वह
तुम्हारे चेहरे से मुस्कान ही छिन ले ।
(47) अपने जीवन कि समस्याएं किसी के साथ
साझा मत कीजिए क्योंकि 80% लोगों को उससे कोई फर्क नहीं पड़ता
बाकी 20% लोग खुश होंगे कि आपके जीवन में यह समस्यएं है ।
(48) कामयाबी तो सिर्फ वही हासिल करता है जो वक्त और
हालातों पर रोया नहीं करते ।
(49) कुछ भी स्थाई नहीं है अपने आप को अधिक
तनाव ना दे क्योंकि स्थिति चाहे कितनी भी खराब हो यह बदल
जाएगी वक्त के साथ-साथ बहुत कुछ बदल जाता है, लोग भी, रास्ते भी, एहसास भी और
कभी हम खुद भी ।
(50) जहा लगे की हमारी वजह से दूसरों को
तकलीफ हो रही है वहा से हट जाना बेहतर है गलतियों में वह
ताकत होती है जो आपको पहले से बेहतर बना सके छल कपट और पाप
उतना ही करना जितना आप भुगत सको, क्योंकि कुदरत किसी
को नहीं छोड़ता सबका हिसाब जमीन पर ही होता है ।
(51) अगर आपका कोई दुश्मन नहीं है तो इसका मतलब
आप उन जगहों पर भी खामोस थे जहा सत्य
बोलना बहुत जरूरी था
निष्कर्ष:- भगवत गीता से हमें यह सीख मिलता है कि हमें अपने कर्तव्यों को बिना फल की इच्छा किए करना चाहिए। कर्म करना हमारा अधिकार है परंतु उसके रिजल्ट पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं ।
श्रीमद् भगवद् गीता के अनमोल वचन (Bhagavad Gita Quotes in Hindi)
1. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
अर्थात्- तुम्हारा अधिकार केवल कर्म करने में है, फल की चिंता मत करो।
2. योगः कर्मसु कौशलम्।
अर्थात्- योग कर्मों में कुशलता है।
3. जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ; जो हो रहा है, वह अच्छे के लिए हो रहा है; जो होगा, वह भी अच्छे के लिए होगा।
4. आत्मा अजर, अमर और अविनाशी है।
अर्थात्- आत्मा को न जलाया जा सकता है, न काटा जा सकता है।
5. क्रोध से भ्रम उत्पन्न होता है और भ्रम से बुद्धि का नाश होता है।
6. मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है।
अर्थात्- जैसा वह विश्वास करता है, वैसा ही वह बन जाता है।
7. जो व्यक्ति संदेह करता है, उसे न तो इस लोक में सुख मिलता है और न ही परलोक में।
8. इंद्रियों का संयम ही सच्चा ज्ञान है।
9. अहंकार से मुक्ति पाकर व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान सकता है।
10. अपने धर्म का पालन करना ही सबसे बड़ा धर्म है।
11. "हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों से बंधा हुआ है।
अर्थात्- अपने कर्तव्यों का पालन करें, यह श्रेष्ठ मार्ग है।
12. जो मन को वश में कर लेता है, उसके लिए मन मित्र है।
13. सफलता और असफलता, लाभ और हानि, सुख और दुख में समान रहना चाहिए।
14. संघर्ष ही जीवन है।
अर्थ- हर चुनौती आत्मविकास का माध्यम है।
15. जो व्यक्ति ज्ञान की दृष्टि से देखता है, वह हर जीव में एक ही आत्मा को देखता है।
16. संसार में हर वस्तु क्षणभंगुर है।
अर्थ- केवल आत्मा ही स्थायी है।
17. तुम्हारे पास जो कुछ भी है, वह तुम्हारे कर्मों का फल है।
18. सच्चा योगी वह है, जो मन की शांति में स्थिर रहता है।
19. जो अपने जीवन को समर्पण और भक्ति से जीता है, वह परमात्मा को प्राप्त करता है।
20. भय से मुक्त होकर सत्य के मार्ग पर चलो।
21. आत्म-ज्ञान ही मोक्ष का मार्ग है।
22. ज्ञान ही सच्चा प्रकाश है।
23. प्रत्येक व्यक्ति अपने कर्मों का उत्तरदायी है।
24. आत्मा को न कोई मार सकता है, न कोई छू सकता है।
25. प्रकृति अपने नियमों से संचालित होती है।
26. सत्य के मार्ग पर चलने वाला कभी हारता नहीं।
27. सभी जीव एक ही परमात्मा का अंश हैं।
28. किसी भी चीज़ में अति करने से बचो।
29. सुख-दुख, लाभ-हानि में स्थिर रहना ही सच्चा योग है।
30. आत्मा अमर है, इसलिए मृत्यु से डरने की आवश्यकता नहीं।
31. ज्ञानी व्यक्ति ज्ञान और कर्म दोनों को समान मानता है।
ज्ञान और कर्म के संतुलन से ही जीवन सफल होता है।
32. जो सभी इच्छाओं को त्याग देता है और 'मैं' तथा 'मेरा' की भावना से मुक्त हो जाता है, वही शांति प्राप्त करता है।
33. जो कर्मफल की इच्छा से मुक्त होकर काम करता है, वह सच्चा योगी है।
34. मनुष्य अपने कार्यों के माध्यम से ही महान बनता है।
35. मित्र और शत्रु को समान दृष्टि से देखना ही सच्चा ज्ञान है।
36. अपने कर्तव्यों का पालन करो, बिना किसी भय या संदेह के।
37. जो भी व्यक्ति भक्ति के साथ मुझे अर्पण करता है – एक पत्ता, एक फूल, फल या जल – मैं उसे स्वीकार करता हूँ।
38. हर व्यक्ति अपने कर्मों के परिणाम से बच नहीं सकता।
39. स्वयं पर विजय प्राप्त करना, सबसे बड़ी विजय है।
40. जो व्यक्ति क्रोध और कामनाओं को नियंत्रित कर लेता है, वही सच्चा योगी है।
41. सभी का समान सम्मान करना ही सच्ची भक्ति है।
42. परिवर्तन संसार का नियम है। जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का होगा।
43. वह व्यक्ति अज्ञानी है, जो दूसरों की निंदा करता है।
44. दुःख से मुक्ति का मार्ग आत्मा को जानना है।
45. जो मनुष्य स्वयं को शांत और संयमित रखता है, वही सच्चा ज्ञानी है।
46. अपने भीतर के सत्य को जानो; यही मुक्ति का मार्ग है।
47. अत्यधिक मोह ही दुःख का कारण है।
48. सभी प्राणियों में ईश्वर का अंश देखो।
49. सफलता और असफलता को समान दृष्टि से देखने वाला ही सच्चा योगी है।
50. जीवन का उद्देश्य आत्मा को जानना और ब्रह्म के साथ एकाकार होना है।
आशा करते हैं कि आपको Bhagavad Gita Quotes in Hindi में आपको जीवन के अनमोल ज्ञान के बारे में पता चलेगा, साथ ही इसमें आपको इसमें आपके सवालों के सही जवाब मिलेंगे। उम्मीद है कि यह ब्लॉग इंट्रस्टिंग लगा होगा, साथ ही यह ब्लॉग आपको पसंद भी आया होगा। इसी प्रकार के अन्य ब्लॉग पढ़ने के लिए Sampuran Gyan के साथ बनें रहें।
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