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100+ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचलित अमृत वचन | RSS Quotes in Hindi

 

                   


महान व्यक्तियों में शामिल है स्वामी विवेकानंद जी, परम पूज्य गुरु जी और परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी भविष्य में यहां पर और भी महान व्यक्तियों के सुविचार जोड़ने का प्रयास है आशा है आपको हमारी यह कोशिश बहुत पसंद आएगी|




सुविचार और अमृत वचन


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के प्रचलित प्रेरक कथन, सुविचार और अमृत वचन | RSS Thoughts,suvichar, amrit vachan in hindi



परम पूज्य डॉ हेडगेवार जी

हिंदू जाति का सुख ही मेरा और मेरे कुटुंब का सुख है हिंदू जाति पर आने वाली विपत्ति हम सभी के लिए महासंकट है और हिंदू जाति का अपमान हम सभी का अपमान है ऐसी आत्मीयता की वृत्ति हिंदू समाज के रोम-रोम में व्याप्त होनी चाहिए यही राष्ट्र धर्म का मूल मंत्र है|



  परम पूज्य श्री गुरूजी

छोटी-छोटी बातों को नित्य ध्यान रखें बूंद बूंद मिलकर ही बड़ा जलाशय बनता है एक एक त्रुटि मिलकर ही बड़ी बड़ी गलतियां होती है इसलिए शाखाओं में जो शिक्षा मिलती है उसके किसी भी अंश को नगण्य अथवा कम महत्व का नहीं मानना चाहिए



पंडित दीनदयाल उपाध्याय (गुरु दक्षिणा के लिए) 

जिस राष्ट्रीय प्रतीक को लेकर वेदकाल से आज तक हम स्फूर्ति पाते रहे ,जिसमे सदियों के उत्थान पतन के रोमांचकारी क्षणो की गाथाएँ गुम्फित है, जिसमे त्यागी, तपस्वी, पराकर्मी, दिग्विजयी, ज्ञानी, ऋषि-मुनि, सम्रा,, सेनापति, कवी, साहित्यकार, सन्यासी और असंख्य, कर्मयोगी के चरित्रों का स्मरण अंकित है जहाँ दार्शनिक उपलब्धियों के साथ जीवन होम करने के असंख्य उदाहरण हमारे स्मृति पटल पर नाच उठते है यह परम पवित्र भगवाध्वज ही हमारी अखंड राष्ट्रिय परम्परा का प्रतिक बनकर हमारे सामने उपस्थित होता है




परम पूज्य श्री गुरूजी

जिस प्रकार अयोग्य सेनापति द्वारा सेना का कुशल सञ्चालन नहीं हो सकता उसी पकारा कार्यकर्ता अकुशल हो तो शाखाएं ठीक नहीं चल सकती अतः प्रत्येक कार्यकर्ता को संघ का शिक्षण करना अनिवार्य है ये वर्ग हमे कठिनाईयों में भी ध्येय का स्मरण रखते हुए संघ कार्य सिखाता है



स्वामी विवेकानंद जी

जब कभी भारत के सच्चे इतिहास का पता लगाया जायेगा तब यह संदेश प्रमाणित होगा कि धर्म के समान ही विज्ञान दर्शन संगीत साहित्य गणित ललित कला आदि में भी भारत समग्र संसार का आदि गुरु रहा है



माननीय भैया जी ढाणी

अपने समाज में मनुष्य बल ,धन बल , बुद्धि बल , सब कुछ था परंतु मैं इस राष्ट्र का घटक हूं तथा इसके लिए मेरा जीवन लगना चाहिए या कर्तव्य भावना व्यक्ति के अंतकरण से स्पष्ट हो जाने के कारण सब प्रकार की शक्ति होते हुए भी हिंदू समाज पराभूत हुआ इस सोचनीय अवस्था के निदान के रूप में समाज की नस नस में राष्ट्रीयता की उत्कट भावना को भरकर और इस भावना से प्रेरित होकर संपूर्ण समाज अनुशासित एवं संज्जीवित होकर पुनः दिग्विजय राष्ट्र के रूप में खड़ा हो, डॉक्टर जी के इस महामंगल संकल्प का मूर्त रूप है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ



परम पूज्य श्री गुरूजी

हमारे समाज पर हुए निरंतर आघातों के बाद भी हम जीवित हैं उसका मूल कारण हमारी समाज रचना ही है, जो आज भी विश्व को शांति का मार्ग बताने में समर्थ है युद्ध ना हो विश्व में शांति हो सब लोग सुखी हो परस्पर वैमनस्य ना हो यह हमारी संस्कृति की कल्पना है सर्वे भवंतु सुखिना हमारे पूर्वजों ने ही कहा और उसे आचरण में भी उतार कर दिखाया। हमारे में अभी भी मनुष्य को विकसित करने का सामर्थ्य है आवश्यकता इस बात की है कि प्रत्येक के अंतः करण में इसकी विशिष्टता का साक्षात्कार हो



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

हम लोगों को हमेशा सोचना चाहिए कि जिस कार्य को करने का हमने प्रण किया है, और जो उद्देश्य हमारे सामने हैं, उसे प्राप्त करने के लिए हम जितना कार्य कर रहे हैं, जिस गति से एवं जिस प्रमाण से हम अपने कार्य को आगे बढ़ा रहे हैं क्या वह गति और प्रमाण हमारी कार्य सिद्धि के लिए पर्याप्त है.




परम पूज्य श्री गुरूजी

अच्छे व देशभक्त व्यक्ति का निर्माण ही सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक कार्य है, और इसका माध्यम है दैनिक शाखा शाखा के नियमपूर्वक चलने वाले कार्यक्रम का संस्कार मन पर पड़ता है और धीरे-धीरे वह स्वभाव बन जाता है. ठीक ठीक कार्यक्रम करने से उत्साह, पौरूष, निर्भयता, अनुशासन, अखंड रूप से कार्य करने की प्रवृत्ति इत्यादि गुण स्वभाव के अंग बन जाते हैं। विश्व का इतिहास इस बात का साक्षी है कि बड़े से बड़ा काम साधारण से दिखने वालों ने ही किए हैं


परम पूज्य रज्जू भैया

यह राष्ट्र हजारों वर्षों से हिंदू राष्ट्र है , हिंदू बनाना है नहीं है , स्थापित नहीं करना है , इसकी घोषणा भी नहीं करनी है , अपितु हिंदू राष्ट्र का सर्वांगीण विकास करना है। हिंदू अभी सुप्त अवस्था में है थक गया है, जब यह जागेगा तो ऐसी प्रदीप्त और तेजस्विता लेकर जागेगा की सारी दुनिया इसकी कर्मठता से प्रकाशित हो जाएगी



परम पूज्य श्री गुरूजी

सम्पूर्ण व शक्तिशाली हिन्दू समाज यही हम सबका एकमात्र श्रद्धास्थान होना चाहिए

जाति, भाषा, प्रान्त, पक्ष ऐसी सभी विचारो को समाज भक्ति के बीच में नहीं आने देना चाहिए


परम पूज्य श्री गुरूजी

अखंड श्रद्धा और दृढ़ संकल्प यही जिनकी एकमात्र शक्ति होती है,

ऐसे सामान्य मनुष्यों से ही देश के महान कार्य हुवे हैं




परम पूज्य श्री गुरूजी

महानता के लिए छोटी छोटी बातों को आयोजित

करना पड़ता है महान व्यक्तित्व एक ही दिन में

तैयार नहीं होते, वे तो चुपचाप धीरे धीरे क्रमवार

रीती से बढते हैं और त्याग प्रेम और आदर्श उनके

व्यक्तित्व को महान बनाते हैं



स्वामी विवेकानंद

हम हिन्दू चाहे जिस नाम से पुकारे जाते हो, कुछ सामान विचार सूत्रों से बंधे हुवे हैं, अब वह समय आ गया है कि अपने तथा अपने हिन्दू जाति के कल्याण के लिए अपने आपस के झगड़ो एवं मतभेदों को त्यागकर हम एक हो जाएँ



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

आसेतु हिमाचल तक फैला हुआ हिन्दू समाज हमें संघठित करना है, संघ केवल स्वयंसेवको तक ही सीमित नहीं है, संघ बाहर के लोगो के लिए भी है राष्ट्रोद्धार का सही मार्ग लोगों को दिखाना ही हमारा कर्तव्य है



 स्वामी विवेकानन्द

जब कोई मनुष्य अपने पूर्वजों के बारे में लज्जित होने लगे, तब समझ लेना उसका अंत हो गया  मैं यद्धपि हिन्दू जाति का नगण्यघटक हूँ, किन्तु मुझे अपनी धर्म पर गर्व है, अपने पूर्वजों पर गर्व है मैं स्वयं को हिन्दू कहने में गर्व का अनुभव करता हूँ



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

सारा हिंदू समाज हमारा कार्य क्षेत्र है। हम सभी हिंदुओं को अपनाएं। कौन सा पत्थर हृदय हिंदू होगा, जो तुम्हारे मृदुल और नम्रता पूर्ण शब्दों को सुनकर इंकार कर देगा।



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

सभी हिंदुओं को संघ में सम्मिलित होना चाहिए। अलग खड़े रहकर देखते रहने से कुछ भी लाभ नहीं होगा।




परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

हिंदुस्तान के साथ जिस के सारे हित संबंध जुड़े हैं, जो इस देश को भारत माता कहकर अति पवित्र दृष्टि से देखता है, तथा जिसका देश के बाहर कोई अन्य आधार नहीं है, ऐसा महान धर्म और संस्कृति से एक सूत्र में गूंथा हुआ हिंदू समाज ही, यहां का राष्ट्रीय समाज है।



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

केवल हम संघ के स्वयंसेवक हैं,और इतने वर्ष में संघ ने ऐसा कार्य किया है, इसी बात में आनंद तथा अभिमान करते हुए, आलस्य के दिन काटना केवल पागलपन नहीं, अपितु कार्य नाशक भी है।



परम पूज्य श्री गुरूजी

भावनाओं के वेग में तथा जवानी के जोश में कई तरुण खड़े हो जाते हैं, परंतु दमन चक्र प्रारंभ होते ही, वे मुंह मोड़ कर सदा के लिए सामाजिक क्षेत्रों से दूर हट जाते हैं। ऐसे लोगों के भरोसे देश की समस्याएं नहीं सुलझ सकतीं।


परम पूज्य श्री गुरूजी

आप इस भ्रम में ना रहें कि लोग हमारी ओर नहीं देखते। वे हमारे कार्य तथा हमारे व्यक्तिगत आचरण की ओर आलोचनात्मक दृष्टि से देखा करते हैं।




परम पूज्य श्री गुरूजी

हमें केवल अपने कार्य में व्यक्तिगत चाल-चलन की दृष्टि से सावधानी नहीं बरतनी चाहिए, बल्कि सामूहिक व सार्वजनिक जीवन में भी इसका ध्यान रखना चाहिए‌।



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

अपने समाज में संगठन निर्माण कर उसे बलवान तथा अजेय बनाने के अतिरिक्त, हमें और कुछ नहीं करना है। इतना कर देने पर सारा काम अपने आप ही हो जाएगा। हमें आज सताने वाली सारी राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक समस्याएं आसानी से हल हो जाएंगी।


राकेश राणा जी 

जिस ध्वज को देखते ही, मन में एक विशिष्ट स्फूर्ति और उमंग हिलोरे मारने लगे, ऐसा भगवा ध्वज, हमारी राष्ट्रीयता का प्रतीक है 



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

समरसता के बिना, समता स्थायी नहीं हो सकती, और दोनों के अभाव में राष्ट्रीयता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। 



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

हम लोगों को हमेशा सोचना चाहिए, कि जिस कार्य को करने का हमने प्रण किया है, और जो उद्देश्य हमारे सामने है, उसे प्राप्त करने के लिए हम कितना काम कर रहे हैं।




परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

शक्ति केवल सेना या शास्त्रों में नहीं होती, बल्कि सेना का निर्माण जिस समाज से होता है, वह समाज जितना राष्ट्र प्रेमी, नीतिवान और चरित्रवान संपन्न होगा, उतनी मात्रा में वह शक्तिमान होगा।



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

संघ का कार्य सुचारू रूप से चलाने के लिए हमें लोक संग्रह के तत्वों को भली भांति समझ लेना होगा।



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

ताकत संगठन से आती है, इसीलिए हर हिंदू का कर्तव्य है कि वह हिंदू समाज को मजबूत बनाने के लिए हर संभव कोशिश करे।



स्वामी विवेकानंद

लुढ़कते पत्थर में काई नहीं लगती ” वास्तव में वे धन्य है जो शुरू से ही जीवन का लक्ष्य निर्धारित का लेते है। जीवन की संध्या होते – होते उन्हें बड़ा संतोष मिलता है कि उन्होंने निरूद्देश्य जीवन नहीं जिया तथा लक्ष्य खोजने में अपना समय नहीं गवाया। जीवन उस तीर की तरह होना चाहिए जो लक्ष्य पर सीधा लगता है और निशाना व्यर्थ नहीं जाता।



स्वामी विवेकानंद

जिस उद्देश्य एवं लक्ष्य कार्य में परिणत हो जाओ उसी के लिए प्रयत्न करो। मेरे साहसी महान बच्चों काम में जी जान से लग जाओ अथवा अन्य तुच्छ विषयों के लिए पीछे मत देखो स्वार्थ को बिल्कुल त्याग दो और कार्य करो।



परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

आगामी वर्षों के लिए हमारा एक ही देवता होगा और वह है अपनी ‘मातृभूमि’ | भारत दूसरे देवताओं को अपने मन में लुप्त हो जाने दो हमारा मातृ रूप केवल यही एक देवता है जो जाग रहा है। इसके हर जगह हाथ है , हर जगह पैर है , हर जगह काम है , हर विराट की पूजा ही हमारी मुख्य पूजा है। सबसे पहले जिस देवता की पूजा करेंगे वह है हमारा देशवासी। 



परम पूज्य श्री गुरूजी

संपूर्ण राष्ट्र के प्रति आत्मीयता का भाव केवल शब्दों में रहने से क्या काम नहीं चलेगा।आत्मीयता को प्रत्यक्ष अनुभूति होना आवश्यक है समाज के सुख-दुख यदि हमें छु पाते हैं तो यही मानना चाहिए कि यह अनुभूति का कोई अंश हमें भी प्राप्त हुआ है। 




स्वामी विवेकानन्द  

भारत में हमारे विकास पथ में दो बड़ी बाधाएं है, सनातन परम्पराओं की कमजोरियाँ और यूरोपीय सभ्यता की बुराइयाँ। मैं दोनों में से सनातन परम्पराओं की कमजोरियाँ अपनाना पसंद करूँगा।

 


स्वामी विवेकानन्द

एक लक्ष्य निर्धारित कीजिये, उस लक्ष्य को ही अपना जीवन बनाइये! उस पर हमेशा विचार कीजिये, उसको पूरा करने   का ही स्वप्न देखिये! उस लक्ष्य के लिए ही जियें और अन्य सभी बातों को छोड़ दें । सफलता का यही मार्ग है। 

 


स्वामी विवेकानन्द

आगामी पचास वर्षों में हमारा केवल एक ही विचार केन्द्र होगा और वह है हमारी महान मातृ-भूमि भारत। हमारा भारत, हमारा राष्ट्र केवल यही हमारा देवता है। वह अब जाग रहा है, हर जगह जिस के हाथ हैं, हर जगह पैर हैं, हर जगह कान हैं, जो सब वस्तुओं में व्याप्त है। इस महान देवता की पूजा में सब देवों की पूजा है।




परम पूज्य डॉक्टर हेडगेवार

यदि पृथ्वी पर कोई ऐसा देश है, जिसे हम धन्य पुण्यभूमि कह सकते हैं, जहां मानव जाति की धृति, क्षमा, दया, शुद्धता आदि सद्वृत्तियों का सर्वाधिक विकास हुआ हो तो वह भूमि भारत ही है। 






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